देश मे करीब पांच से 10 मंदिर ऐसे हैं जहाँ पुरुषो का जाना वर्ज़ित है.
इसका मतलब ये नहीं ये ये मंदिर या देवी/देवता पुरुष विरोधी हैं.
अन्य मंदिरो की तरह अयप्पा मंदिर की भी अपनी परम्परा और प्रोटोकोल है. इसका सम्मान होना चाहिए.
यह जेंडर असमानता का मुद्दा है ही नहीं, जैसाकि वामपंथी और लिबरल गिरोह बता रहा है. अगर यह नारी विरोधी होता तो रजस्वला काल से पूर्व और पश्चात भी महिलाओं का प्रवेश निषिद्ध होता।
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