सनातन सनाकृति में धर्म एक गहन और आत्मिक सूझ बूझ और सुख का विषय है।
लेकिन अब्राह्मामिक पंथों, खासकर ईसाईयत में ऐसा नहीं है। पूरी तरह प्रचार और मार्केटिंग के बूते पर चलने वाली इनकी गतिविधियां किसी भी विवेकशील प्राणी को शर्मसार कर सकती हैं।
भारत में इनके कारनामे लोभ, लालच और झूठ के फरेब से भी आगे निकल गई है। और अब भूत प्रेत भगाने के नाम पे चंगाई सभाएं करके धर्मान्तरण का गोरख धंधा जोरो पर है।
वैज्ञानिक और तर्कपूर्ण हिन्दू आस्थाओं पर भी कुत्सित हमले करनेवाला मीडिया, सेकुलर-लिबरल गैंग मिशनरियों द्वारा फैलाए जाने वाले अंधविश्वासों पे खामोश है!!

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