गौरक्षक काफी मेहनत और सतर्कता के साथ ऐसे इक्का दुक्का मामले पकड़ पाते हैं और पुलिस को इत्तला देते हैं। लेकिन पुलिस की ढिलाई, सेकुलर नेताओ के दखल और कोर्ट में लचर ढंग से कार्रवाई के कारण गोहत्यारे छूट जाते हैं।
बस यही पर गोसेवक उग्र व आक्रोशित हो जाते हैं, कानून हाथ मे लेने को विवश हो जाते हैं। और कुछ अनहोनी हो जाती है।
फिर सारा मीडिया गोरक्षकों को आतंकवादी साबित करने में जुट जाता है।
ये चक्र टूटना चाहिए।
हर कोई गोमाता को बचाना चाहता है। लेकिन कैसे? इसके क्या सामाजिक, कानूनी उपाय हैं? इस पे चर्चा और जागरूकता फैलानी होगी।
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