
आदि शंकराचार्य ने दक्षिणी भारत के केरल प्रांत में जन्म लेकर हिंदू धर्म को नवजीवन दिया था। आठ साल की छोटी उम्र में संन्यास ले कर 32 साल की आयु में शरीर छोड़ने से पूर्व वो लगभग सारे भारत को अपने चरणों से नाप चुके थे. पूर्व में कश्मीर से लेकर केरल, (कांची) तमिलनाडु से लेकर काशी, कर्नाटक के श्रृंगेरी पीठ से लेकर बद्री और पुरी से लेकर द्वारका तक का क्षेत्र और गंगा के मैदानों से लेकर नर्मदा और कावेरी के तट सब इस प्रचारक के द्वारा नापे जा चुके थे।
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