सनातन संस्कृति में नारी शक्ति ने जहां अपनी विद्वता सिद्ध की है, वहीं शौर्य भी बहुत दिखाया है।
एक ऐसी ही वीरांगना थी झलकारी बाई। जिन्होंने भारत की स्वाधीनता के लिए 1857 में हुए संग्राम में पुरुषों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर बराबर का सहयोग दिया था। कहीं-कहीं तो उनकी वीरता को देखकर अंग्रेज अधिकारी एवं पुलिसकर्मी आश्चर्यचकित रह जाते थे। उनके वीरोचित कार्यों से पुरुषों को भी पीछे छोड़ दिया।
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